मऊ में उफान पर सरयू नदी, एक दर्जन से अधिक गांवों में भरा पानी
मुल्क तक न्यूज़ टीम, मऊ. मऊ जिले के मधुबन तहसील क्षेत्र के देवारा में सरयू नदी उफान पर है। नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच कुंवरपुरवा बंधे में रिसाव होने से दहशत का माहौल बन गया है। बंधे के दूसरी तरफ बसे एक दर्जन से अधिक गांव के लोगों में दहशत का माहौल है। हालांकि बंधे में रिसाव की सूचना के बाद से ही अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं। डैमेज को कंट्रोल करने की कवायद जारी है।
बालू की बोरिया डाल कर रिसाव रोकने का प्रयास किया जा रहा है। कार्य लगातार जारी है। मगर पानी के भारी दबाव के कारण बचाव कार्य में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि सिंचाई विभाग के जेई यूएन पांडेय ने कहा कि बंधे में हो रहे रिसाव को जल्द ही नियंत्रित कर लिया जायेगा। हालात पर शासन प्रशासन की गहरी नजर है। वैसे कुंवरपुरवा बंधे में रिसाव की सूचना के बाद दहशत का माहौल जरूर बन गया है।
खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर सरयू
मधुबन के हाहानाला स्थित रेगुलेटर पर शुक्रवार की सुबह नदी का जलस्तर 67.30 मीटर रिकॉर्ड किया गया जोकि गुरुवार की सुबह 66.90 मीटर था। बीते 24 घंटे में पानी रिकॉर्ड 40 सेंटीमीटर बढ़ा है। यहां खतरा बिन्दु 66.31 मीटर है और वर्तमान में नदी खतरा बिन्दु से 99 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है और पानी बढ़ने का सिलसिला जारी है।
ऐसे में अब लोगों को 1998 में यहां आयी भीषण बाढ़ का मंजर याद आने लगा है। जब नदी का जलस्तर 67.47 पर जा पहुंचा था और बाढ़ नें यहां भारी तबाही मचाई थी। सरयू नदी में आये उफान के कारण 1998 में आयी भीषण बाढ़ के स्तर तक पहुंचने से नदी मात्र 17 सेंटीमीटर ही दूर है तो फिर लोगों में दहशत स्वाभाविक है।
बाढ़ पीड़ितों का क्षेत्र से पलायन जारी
मधुबन तहसील क्षेत्र के देवारा में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से पूरी तरह घिर चुके हैं। ऐसे में लोगों का पलायन जारी है। बाढ़ पीड़ित अपना घरबार छोड़ सुरक्षित ठिकानों की तलाश में हैं। कई बाढ़ पीड़ित परिवारों ने बंधे पर अपना डेरा जमा लिया है तों वहीं कई परिवारों ने अपने सगे सम्बन्धी एंव रिश्तेदारों के यहां शरण ले रखी है।
पशुओं को बचाना एक बड़ी चुनौती
बाढ़ के पानी से घिरे लोग इन दिनों कई तरह कि दिक्कतों से गुजर रहे हैं। यह पीड़ित इन दिनों गहरे संकट में हैं कि बाढ़ से खुद को बचाएं या अपने पालतू पशुओं को। हर तरफ पानी ही पानी है और हरे चारे का संकट है। पशुओं को रखने और उनके लिये चारे की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। जहरीले जंतुओं का खतरा अलग से है। मुख्य मार्गो से इन लोगों का संपर्क पूरी तरह टूट चूका है। वर्तमान में केवल नाव ही आवागमन का एक मात्र सहारा बचा है। एक बढ़ा क्षेत्रफल बाढ़ से प्रभावित होने के कारण प्रशासन द्वारा आवागमन के लिये लगायी गयी नावें कम पड़ रहीं हैं और प्रभावित लोग नाव की संख्या बढ़ाये जाने की मांग कर रहे हैं।
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