मऊ में घाघरा नदी का जलस्तर 10 सेमी बढ़ा, कटान में आई तेज
मुल्क तक न्यूज़ टीम, मऊ. घाघरा का जलस्तर घटने के बाद एक फिर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। बीते 24 घण्टे में नदी के जलस्तर में 10 सेमी की बढोत्तरी दर्ज की गई। घाघरा के जलस्तर में हो रहे बढ़ाव व घटाव से तटवर्ती क्षेत्रो में कटान तेज हो गई है। परमहंस बाबा कुटी के सामने हो रही इस समय कटान से लोग भयभीत है। लेकिन कटान को रोकने का कोई प्रबंध आज तक नहीं किया गया है। वही मातेश्वरी धाम मंदिर के सामने कटान होने से खाई बनती जा रही है। जिसे रोकने के लिए सिंचाई विभाग के कर्मचारी लगे हुए हैं।
नदी के जलस्तर पर नजर डाले तो शनिवार को 68.05 मीटर था। जो रविवार को 10 सेमी बढ़कर 68.15 मीटर पर पहुच गया।नदी इस समय खतरा बिंदु 69.90 मीटर से 1.75 मीटर नीचे बह रही है।बढ़ते जलस्तर से एक बार पुन: तटवर्ती गांवो में दहशत का माहौल है। भारत माता मंदिर के पास नदी बैरोकलिंग कर रही है, जिससे सुरक्षा में लगे बोल्डरो के खिसकने का डर बना हुआ है। वहीं परमहंस बाबा कुटी के सामने हो रही कटान से आजमगढ़-दोहरीघाट मार्ग और घाघरा नदी के बीच दूरी लगभग 100 मीटर से भी कम बची है। वहीं कस्बे के ऐतिहासिक धरोहरों भारत माता मंदिर, खाकी बाबा की कुटी, शाही मस्जिद, लोक निर्माण विभाग का डाक बंगला समेत आदि ऐतिहासिक धरोहरों पर कटान का खतरा मंडराने लगा। लेकिन शासन प्रशासन की ओर से कटान रोकने के लिए अब तक कोई भी ठोस उपाय नहीं किया जा सका है। कटान जारी रहने तथा तेजी से जलस्तर बढ़ने से नदी में बाढ़ आने की संभावना प्रबल हो गई है।
नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रहने से तटवर्ती इलाकों नई बाजार, नौली, चिऊंटीडांड़, लामी, तारनपुर, कादीपुर, हरधौली, बहादुरपुर, बुढावर, पतनई, सरयां, ठिकरहिया, नगरीपार, रसूलपुर, सूरजपुर सहित दर्जनों गांवों में बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में अभी से लोग बाढ़ से निपटने की योजना बनाने में जुट गए हैं। क्षेत्र के पूर्व नगर अध्यक्ष गुलाब चंद गुप्त,दिनेश राय,रामबृक्ष राय,रामसिंह यादव,राहुल सहित आदि का कहना है कि परमहंस बाबा कुटी के सामने नदी के कटान का दायरा बढ़ता जा रहा है।
लेकिन प्रशासन की ओर से कटान रोकने का उपाय तक नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष बाढ़ व कटान से काफी नुकसान होता है, लेकिन प्रशासन की ओर से एक पाई का मुआवजा नहीं मिलता है। इस सम्बंध ने सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता वीरेन्द्र पासवान ने बताया कि मातेश्वरी धाम मंदिर के सामने हो रही कटान की सूचना है। मौके पर कर्मचारियों को भेजा गया था। जिसके आधार पर कटान रोकने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। वहीं परमहंस बाबा कुटी के सामने हो रही कटान सिंचाई विभाग के कार्य क्षेत्र में नही पड़ता है।
सिकुड़ रही मऊ की सीमा, गोरखपुर के किसानों ने जमाया कब्जा
दोहरीघाट में घाघरा की कटान से प्रतिवर्ष मऊ जनपद की सीमा सिकुड़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ गोरखपुर जनपद का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है। चिऊटीडांड से लेकर रामपुर धनौली तक घाघरा की कटान से लगभग 300 हजार एकड़ भूमि काट कर आगे बढ़ गई है। जिस पर गोरखपुर के किसानों ने कब्जा जमा लिया है। मऊ जनपद की घटती सीमा को लेकर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। इस बीच किसानों ने सिमांकन कराकर अपना कब्जा दिलाने की मांग किया है।
रामपर धनौली रिंग बन्धे के पश्चिम तरफ लोहड़ा क्षेत्र था। जहाँ किसानों की 2456 एकड़ उपजाऊ भूमि पर फसलें लहराती थी। लेकिन घाघरा की विभीषिका ने किसानों की जमीन को काट कर उन्हें भूमिहीन कर दिया। पूर्व में नदी गोरखपुर जनपद की सीमा में होकर बहती थी, वह आज कटान करती हुई मऊ की सीमा में होकर बहने लगी है। अपनी कटी हुई जमीन पर फसल बोन के लिए नदी पार जब भी किसान जाते है तो गोरखपुर के दबंग उन्हें भगा देते हैं।
क्षेत्र के नईबाजार, सरहरा, रामपुर धनौली, नवली सहित आदि गांवो के किसानों की जमीन पर गोरखपुर के दबंगो ने अपना कब्जा जमा लिया है। पीड़ित किसानों ने वर्षों से सीमांकन करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन या क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के कानों पर जु तक नही रेंग रहा है। क्षेत्र के धर्मेंद्र राय, राजेश पांडेय, विशाल यादव, सतीश यादव, दिनानाथ राय सहित आदि लोगो ने बताया कि नदी प्रतिदिन उपजाऊ भूमि को काट रही है। किसानों ने मांग किया कि दोनों जनपदों का सीमांकन कर किसानों की जमीन वापस दिलाई जाए।
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