निजी स्कूलों को राहत, अभिभावकों को झटका...यूपी सरकार ने फीस बढ़ाने की अनुमति
पांच फीसदी हो सकती है फीस में वृद्धि
अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने निजी स्कूलों में फीस वृद्धि से संबंधित आदेश जारी किया है। इस आदेश में साफ किया गया कि शुल्क में वृद्धि वर्ष 2019-20 के फीस स्ट्रक्चर के आधार पर की जा सकेगी। इसे आधार मानते हुए उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क विनियमन अधिनियम 2018 की धारा 4(1) के नियम के अनुसार ही फीस में बढ़ोत्तरी होगी।
इसमें शर्त यह लगाई गई है कि 2022-23 सेशन में वार्षिक वृद्धि की गणना नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर की जाए। लेकिन, उसके साथ 5 फीसदी की जो शुल्क वृद्धि होनी है, वह वर्ष 2019-20 में लिए गए वार्षिक शुल्क के 5 फीसदी से अधिक न हो।
दो वर्षों की वृद्धि को न जोड़ने का निर्देश
निजी स्कूलों की स्कूलों की ओर से शैक्षणिक सत्र 2020-21 और 2021-22 में फीस वृद्धि नहीं होने को भी आधार बनाया जा रहा है। कोरोना काल में सरकार की ओर से फीस वृद्धि पर रोक थी। इस स्थिति में काल्पनिक गणना के जरिए फीस का नए सिरे से निर्धारण किया जा रहा था। इससे अभिभावकों पर दबाव अधिक बढ़ रहा है। आराधना शुक्ला की ओर से जारी आदेश में साफ किया गया कि पिछले दो वर्षों के शुल्क वृद्धि की काल्पनिक गणना किसी भी स्थिति में न की जाए। न ही उसे निर्धारित फॉर्मूले में जोड़ा जाए। हालांकि, इसकी जांच के लिए सरकार की ओर से अब तक किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं दी गई है।
पंजाब में लगी है फीस वृद्धि पर रोक
विधानसभा चुनाव के बाद पंजाब में बनी आम आदमी पार्टी की सरकार ने निजी स्कूलों की फीस में वृद्धि पर रोक लगा दी है। भगवंत मान सरकार ने निजी स्कूलों के फीस वृद्धि संबंधी मांग को ठुकरा दिया है। दूसरी तरफ, बढ़ती महंगाई के बीच उत्तर प्रदेश के स्कूलों में फीस वृद्धि के मामले ने अभिभावकों की परेशानी को बढ़ा दिया है। अभिभावकों का कहना है कि फीस में मनमानी बढ़ोत्तरी की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए सरकार की ओर से पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए।
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