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KGF Chapter 2 Movie Review: रॉकी भाई के सामने आया जब पुराना रॉकी, डबल हुआ एक्शन

मुल्क तक न्यूज़ टीम, KGF Chapter 2 Movie Review: मूवी की एक डार्क टोन है, उसी तरह का सेटअप है. इमोशंस और एक्शन मूवी को बांधे रखते हैं, आपको हिलने नहीं देते. साथ ही रोमांस का थोड़ा सा तड़का भी है.
KGF Chapter 2 Movie Review

कास्ट: यश, संजय दत्त, रवीना टंडन, श्रीनिधि शेट्टी, प्रकाश राज, अनंत नाग, अच्युत कुमार, राव रमेश, अर्चना जॉयस आदि

निर्देशक:  प्रशांत नील

स्टार रेटिंग: 4

कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में

KGF Chapter 2 Movie Review: देश की प्रधानमंत्री पूछती है, बहुत सोना है तुम्हारे पास तो जवाब में हीरो रॉकी उलटा पीएम से एक सवाल पूछता है, ‘हां... देश का कर्जा उतारना है तो बताइए’. ऐसे पढ़ने में आपको ये मजाक लगेगा, लेकिन जब सिनेमा हॉल में ये सीन चल रहा होता है, तो इस पर सीटियां बज रही होती हैं. रॉकी भाई रॉकी भाई के नारे लग रहे होते हैं. ऐसा लगता है वो पुराने जमाने के परदे पर सिक्के फेंकने वाले दिन भी फिर से लौटने वाले हैं, हीरो की एंट्री पर, उसके हर डॉयलॉग पर, उसके हर एक्शन में जिस तरह से 'केजीएफ चैप्टर 2' (KGF Chapter 2) में तालियां बजी हैं, उससे तो यही लगता है.

सुपरस्टार यश का चार्म
आपको पता है इसमें सबसे दिलचस्प क्या है, वो ना अमिताभ बच्चन हैं, ना शाहरुख या सलमान खान और ना ही अजय देवगन या ऋतिक रोशन, वो साउथ का हीरो है, और ये दृश्य दिल्ली-एनसीआर के एक सिनेमा हॉल का है. देश की राजधानी में रहने वाले ये युवा कन्नड़ फिल्म स्टार यश को पहचानते भी नहीं थे, उनकी पहली मूवी का ही दूसरा पार्ट तो देख रहे हैं, ये लोग, फिर भी उसकी लोकप्रियता यहां चरम पर है.

फिल्म को लेकर बेसब्री
वजह बनी केजीएफ चैप्टर वन (KGF Chapter 1), जिसके डायरेक्टर और राइटर प्रशांत नील की ये दूसरी ही मूवी थी, लेकिन उनकी टीम चाहे वो सिनेमेटोग्राफर भुवन गौड़ा हों, एडिटर उज्जवल कुलकर्णी या फिर उसके सेट डिजाइनर सबने उस मूवी को ऐसे रचा कि लोगों के दिलो-दिमाग पर छा गई. एक से बढ़कर एक दमदार स्टार कास्ट, उस पर म्यूजिक भी ऐसा कि ना केवल साउथ में बल्कि हिंदी बेल्ट में भी कांफी पसंद किया गया. जाहिर है पार्ट 2 का उसी तरह इंतजार था, जैसे कभी 'बाहुबली' का था. वैसे भी लोग स्टाइलिश एक्टर यश के उसी तरह फैन हो चुके थे, जैसे पुष्पा के अल्लू अर्जुन के.

इन नामों ने बढ़ाई एक्साइटमेंट
ऐसे में मूवी का और भी ज्यादा इंतजार तब और बढ़ गया, जब दो और नामों का ऐलान हुआ संजय दत्त और रवीना टंडन का. यूं तीसरा नाम प्रकाश राज का भी था जिससे मूवी और दमदार हो गई. कहानी को भी इस स्तर तक ले जाया गया कि सीधे देश के प्रधानमंत्री को भी इसका हिस्सा बनाया. हालांकि ये देखने में अजीब नहीं लगता.

शानदार हैं फिल्म के डायलॉग्स
मूवी की एक डार्क टोन है, उसी तरह का सैटअप है, इमोशंस और एक्शन मूवी को बांधे रखते हैं. आपको हिलने नहीं देते. साथ ही रोमांस का थोड़ा सा तड़का भी है. डायलॉग्स पर अच्छी मेहनत हुई है जो ऑडियंस का इंट्रेस्ट बनाए रखते हैं. जैसे 'नेपोटिज्म से नहीं मेरिट से आए', 'जब मेरे बाप से दूसरा रॉकी पैदा नहीं हुआ तो और किसी से क्या होगा'. 'सांप-सीढी के खेल में अब नेवला उतर चुका है'. हर डायलॉग पर बजने वाली तालियां और सीटियां आपको उसी 80 के जमाने में वापस ले जाएंगी, जिस दौर में ये मूवी रची गई है.

ऐसे बढ़ती है कहानी आगे
कहानी इस तरह चैप्टर 2 में आगे बढ़ती है कि गरुड़ा को मारकर रॉकी केजीएफ का सुल्तान बन जाता है और कई नई खानों से बड़ी तेजी से सोना निकालना शुरू करता है. उसको वहां गरुड़ा के खिलाफ लाने वाले सभी उसके खिलाफ हो जाते हैं, लेकिन एक को मारकर वो उन्हें दहशत में डाल लेता है और रीना को वहीं केजीएफ में रख लेता है, जो बाद में उसका लोहा मान जाती है. ऐसे में रॉकी को तगड़ा झटका देता है गरुड़ा का भाई अधीरा यानी संजय दत्त. शानदार एंट्री और गेटअप के साथ संजय दत्त एक बार को तो रॉकी के साथ साथ उनके फैंस को भी डरा देते हैं.

रॉकी की धमाकेदार वापसी
रॉकी का पूरा साम्राज्य एक तरह से ध्वस्त कर दिया जाता है, लेकिन रॉकी को जिंदा छोड़ना अधीरा और उसके साथियों के लिए दिक्कत बन जाता है, रॉकी की वापसी धमाकेदार होती है, अधीरा गहरी चोट खाकर गुमनामी में चला जाता है. इधर देश की प्रधानमंत्री बन जाती हैं रमिका सेन यानी रवीना टंडन. सीबीआई डायरेक्टर उन्हें बताता है कि देश का सबसे बड़ा क्रिमिनल है रॉकी भाई, उसको खत्म करना ही होगा. रॉकी की पीएम ऑफिस में एंट्री, संसद में आकर कत्ल करना, फिल्म के टोन के साथ बचकाना नहीं लगता, बल्कि तालियां बजती हैं.

फिल्म में हुई एक चूक
रवीना और संजय दत्त दोनों के ही रोल दमदार हैं, लेकिन आज दौर यश का है, ये मूवी खासतौर पर उसी के लिए लिखी गई है और उसका किरदार इस तरह खड़ा किया गया है कि उसके औरा के आगे सब फीका होने लगता है. कैसे अधीरा वापस आता है, कैसे देश की पीएम रमिका सेन मुकाबले में उतरती है, क्लाइमेक्स उसी पर बना है. हालांकि यहां एक चूक साफ समझ आती है कि जिन सुबूतों के भरोसे रॉकी देश की पीएम तक को पीछे हटने को मजबूर कर देता है, बाद में वो सुबूत डायरेक्टर किनारे क्यों कर देता है, रॉकी उनको मीडिया आदि को देकर पीएम रमिका को क्यों नहीं पीछे हटने पर मजबूर करता?  कह सकते हैं कि बड़ी बड़ी मूवीज में बड़े बड़े स्टार्स के औरा के आगे ये छोटी-छोटी गलतियां कहीं दब सी जाती हैं. बाकी सब चंगा है. म्यूजिक भी, तूफान गाना गुनगुनाने लायक है, सलाम रॉकी भाई की तरह.


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