Metro Train in Banaras : पड़ोसी जिलों को जोड़ेगी बनारस मेट्रो, वाराणसी से प्रयागराज के बीच पायलेट मेट्रो प्रोजेक्ट
हालांकि, अब तक बनारस मेट्रो (Banaras Metro) के लिए जो करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें सवा चार करोड़ रुपये से हेवी मेट्रो परियोजना का ब्लू प्रिंट तैयार हुआ था तो वहीं, 81 लाख रुपये रोप-वे (Ropeway) के ब्लू प्रिंट के लिए खर्च हो चुका है। यह धनराशि अवस्थापना निधि से व्यय की गई है। फिलहाल, चुनाव से पहले वाराणसी में हुई बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बनारस के पड़ोसी जिलों को जोडऩे के लिए लाइट मेट्रो की संभावना को तलाशने की मंशा जाहिर की थी। उन्होंने वाराणसी से प्रयागराज (Varanasi to Pryagraj Metro Train) के बीच पायलेट मेट्रो प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए निर्देशित किया था। मंशा थी कि इस प्रोजेक्ट में वाराणसी व प्रयागराज के अलावा मीरजापुर को लाइट मेट्रो से जोड़ा जा सकेगा (Varanasi To Mirzapur Metro)। हालांकि, मुख्यमंत्री की बैठक के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
अब तक इस दिशा में कदम नहीं बढ़ सके हैं। अब एक बारगी फिर सरकार ने मंशा जाहिर करते हुए 10 दिनी संकल्प के साथ विकास का लक्ष्य देते हुए लाइट मेट्रो की संभावना को तलाशने का निर्देश दिया है तो बनारस मेट्रो (Banaras Metro) के सपने को कागजों पर उतारने की कवायद शुरू हो सकती है। हालांकि, इस मसले पर वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) की उपाध्यक्ष ईशा दुहन से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान में उनकी प्राथमिकता रोपवे है जो देश का पहला पब्लिक ट्रांसपोर्ट होगा जिसे शहर के अंदर संचालित किया जाएगा। कहा कि अब तक देश में जहां भी रोपवे है वह पहाड़ी क्षेत्र है।
ऐसी होगी लाइट मेट्रो
-04 कोच वाली लाइट मेट्रो
-59.94 मीटर लाइट मेट्रो की न्यूनतम लंबाई
-2.8 मीटर कोच की चौड़ाई
-800 यात्रियों को ले जाने की क्षमता
-35 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार
-04 गेट प्रत्येक कोच में
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