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कोरोना से मौतों की संख्या 7 गुना तक ज्यादा होने का दावा मोदी सरकार ने नकारा, कारण भी गिनाए

मुल्क तक न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. भारत ने शनिवार को उस खबर का खंडन किया जिसमें दावा किया गया था कि देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से 'पांच से सात गुना' तक ज्यादा हैं। सरकार ने कहा कि यह निष्कर्ष महामारी विज्ञान संबंधी सबूतों के बिना महज आंकड़ों के आकलन पर आधारित है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर बिना नाम लिए खबर प्रकाशित करने के लिए प्रकाशक की निंदा की जिसमें दावा किया गया है कि 'भारत में कोविड-19 से होने वाली मौतें आधिकारिक आंकड़ों से पांच से सात गुना अधिक हैं।'

मंत्रालय ने दि इकोनॉमिस्ट की खबर को कयास लगाने वाला और बिना किसी आधार वाला एवं भ्रामक करार दिया है। बयान में कहा गया, 'यह अनुचित विश्लेषण महामारी विज्ञान के सबूतों के बिना केवल आंकड़ों के आकलन पर आधारित है।'


मंत्रालय ने कहा कि पत्रिका में जिस अध्ययन का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया गया है वह किसी भी देश या क्षेत्र की मृत्युदर का पता लगाने के लिए विधिमान्य तरीका नहीं है। इसके साथ ही मंत्रालय ने कई कारण गिनाए जिनकी वजह से जिस अध्ययन का इस्तेमाल प्रकाशक द्वारा किया गया उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।


मंत्रालय ने कहा कि वैज्ञानिक डाटाबेस जैसे पबमेड, रिसर्च गेट आदि में इंटरनेट पर इस अनुसंधान पत्र की तलाश की गई लेकिन यह नहीं मिला, अध्ययन करने के तरीके की जानकारी भी पत्रिका ने उपलब्ध नहीं कराई। बयान में कहा गया, 'एक और सबूत दिया गया कि यह अध्ययन तेलंगाना में बीमा दावों के आधार पर किया गया, लेकिन एक बार फिर समीक्षा किया गया वैज्ञानिक आंकड़ा ऐसे अध्ययन को लेकर नहीं है।


बयान में कहा गया, 'दो और अध्ययनों पर हवाला दिया गया है जिन्हें चुनाव विश्लेषण समूह 'प्राशनम और सी वोटर ने किया है जो चुनाव नतीजों का पूर्वानुमान और विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। वे कभी भी जन स्वास्थ्य अनुसंधान से जुड़े नहीं हैं। यहां तक कि उनके अपने चुनाव विश्लेषण के क्षेत्र में नतीजों का पूर्वानुमान लगाने के लिए जिस पद्धति का इस्तेमाल होता है वे कई बार गलत साबित होती हैं।'


मंत्रालय ने कहा, 'पत्रिका ने खुद माना है कि यह अनुमान अस्पष्ट और यहां तक अविश्वसनीय स्थानीय सरकार के आंकड़ों, कंपनी रिकॉर्ड के आकलन पर आधारित है और इस तरह का विश्लेषण मृत्युलेख जैसा है। मंत्रालय ने कहा कि सरकार कोविड आंकड़ों के प्रबंधन के मामले में पारदर्शी है। मौतों की संख्या में विसंगति से बचने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसधान परिषद (आईसीएमआर) ने मई 2020 में दिशानिर्देश जारी किए थे।


मंत्रालय ने कहा कि सभी मौतों को सही तरीके से दर्ज करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आईसीडी-10 कोड की अनुशंसा की है जिसका अनुपालन किया गया।बयान में कहा गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से औपचारिक संवाद, कई बार वीडियो का्फ्रेंस और केंद्रीय टीमों को तैनात कर निर्धारित दिशानिर्देशों के आधार पर मौतों को दर्ज करने को कहा गया। मंत्रालय ने कहा कि उसने दैनिक आधार पर जिलेवार संक्रमण और मौतों के मामलों को दर्ज करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर भी जोर दिया।


बयान में कहा गया, 'राज्य लगातार दैनिक मौतों की संख्या कम बता रहे थे। उन्हें आंकड़ों को दोबारा जांचने को कहा गया। ऐसा मामला बिहार राज्य का है जहां केंद्र सरकार ने मौतों का संशोधित आंकड़ा तारीख के साथ जिलेवार स्वास्थ्य मंत्रालय को मुहैया कराने को कहा। कोविड-19 महामारी जैसे लंबे जन स्वास्थ्य संकट के दौरान दर्ज मौतों के आंकड़ों में अंतर हो सकता है और अधिक मौतों पर उचित अनुसंधान आध्ययन किया जाता है, सामान्यत: यह घटना होने के बाद किया जाता है जब मौतों का आंकड़ा विश्वसनीय स्रोतों से उपलब्ध होता है। ऐसे अध्ययनों की पद्धति तय है और आंकड़ों के स्रोत परिभाषित हैं।


एक अलग बयान में मंत्रालय ने दैनिक आधार पर इकट्ठा किए आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश में शनिवार तक संक्रमण के 2,93,59,155 मामले आए हैं जिनमें से 3,67,081 लोगों की मौत हुई है।

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