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5 बच्चे हैं...राशन नहीं मिला, कैसे पेट भरूंगी...दिल्ली में सुबह 3 बजे लाइन में लगे लोग

मुल्क तक न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. दिल्ली में कोरोना के केस भले ही कम हो रहो, राजधानी धीरे-धीरे अनलॉक हो रही है। लेकिन इसके बावजूद शहर में रहने वाले प्रवासी मजदूरों और गरीब लोगों को दाने-दाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। बिना राशन कार्ड वाले लोगों के लिए यह स्थिति किसी संकट से कम नहीं है। लॉकडाउन ने उनका रोजगार छीन लिया। अब स्थिति यह है कि अपना और परिवार का पेट पालने के लिए उन्हें सुबह 3 बजे से ही राशन की लाइनों में लगना पड़ रहा है। कई बार अंत में उन्हें राशन भी नहीं मिल पा रहा है। लोग सुबह से ही राशन के लिए लाइन में लग रहे हैं। लोगों को राशन के लिए टोकन बांटे जा रहे हैं। जो खुशकिस्मत हैं उन्हें टोकन मिल जा रहा है। वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें लाइन में पीछे लगने की वजह से टोकन नहीं मिल पा रहा है। टोकन नहीं मिलने की वजह से उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है।

पांच बच्चे हैं...राशन नहीं मिला अब कैसे उनका पेट भरूंगी

दक्षिणी दिल्ली के नेहरू नगर में रहने वाली 35 वर्षीय मुन्नी देवी लोगों के घरों में काम कर अपना परिवार चलाती हैं। उनके पांच बच्चे हैं। पति छवि राम रिक्शा चलाते हैं। लॉकडाउन से पहले उनका परिवार हर महीने करीब 10 हजार रुपये कमा ले रहा था। यह कमाई अब घटकर 2000 रुपये पर आ गई है। मुन्नी अपने 10 साल के एक बेटे के साथ राशन वितरण केंद्र पर सुबह 11 बजे पहुंची थी। शाम 4 बजे तक लाइन में खड़े रहने के बाद भी उन्हें राशन नहीं मिला। 

वहीं, हाउसवाइफ संध्या देवी (ऊपर फोटो में बाएं) का कहना है कि सरकार गेहूं और चावल दे रही है। यह तो ठीक है लेकिन हमें अभी भी तेल, मसाला व अन्य चीजें तो खरीदनी पड़ रही है। सरकार को यह सोचना चाहिए कि जो वह कर रही क्या वह काफी है? क्या हम इन चीजों को बिना पकाए ही खा सकते हैं? वहीं नीलम (ऊपर फोटों में दाईं तरफ) का कहना है कि मेरे पति जनपथ में एक दुकान पर काम करते थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई। अब वह डेली वेज मजदूरी का काम कर रहे हैं। नीलम का कहना है कि किसी भी तरह से परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा रहे हैं।

दो घंटे लाइन में खड़ी रही, नहीं मिला राशन

61 साल की राजवती डायबिटिज की मरीज हैं। राशन के लिए वह उत्तरपूर्व दिल्ली के नंद नगरी राशन वितरण केंद्र पर सुबह तीन बजे ही लाइन में लग गई थीं। बावजूद इसके उन्हें राशन के लिए टोकन नहीं मिला। 30 वर्षीय चंचोला दास घरों में साफ-सफाई का काम करती हैं। दो घरों में काम खत्म करने के बाद वह राशन लेने सेंटर पर पहुंची थीं। लंबी लाइन में वह करीब दो घंटे तक खड़ी रहीं। आखिरकार उन्हें निराश होकर खाली हाथ ही घर लौटना पड़ा। उनका कहना है कि और भी काम है अब यहां कितना इंतजार करूं। वहीं, 28 वर्षीय आरती का कहना है कि मेरे पति रिक्शा चलाते हैं। इन दिनों कुछ कमाई भी नहीं हो रही है। ऐसे में हमारी जरूरतें कैसे पूरी होंगी? आरती गोल मार्केट सेंटर पर राशन लेने पहुंची थी। वह उन खुशकिस्मत लोगों में शामिल थी जिन्हें गेहूं और चावल मिल गया था।


काम बंद है, इतने कम राशन में परिवार कैसे पालेंगे

65 साल के राजेंद्र कुमार कंस्ट्रक्शन वर्कर है। हाल ही में उन्हें अपनी नौकरी छूट गई। धीरे-धीरे उनकी पूरी सेविंग्स भी खत्म हो गई। अब स्थिति यह है कि घर में खाने के लिए अब कुछ नहीं है। परिवार में सात लोग हैं। राजेंद्र का कहना है कि इतने कम राशन में परिवार का पेट कैसे भरेगा। 61 साल की राजवती का भीषण गर्मी में लाइन में खड़े होने के बाद सब्र जवाब दे गया। राजवती का कहना था कि राशन बांट रहे स्कूल प्रशासन ने कहा कि प्रोविजन खत्म हो गया। जब जब हमने पूछा कि हमें राशन क्यों नहीं मिल रहा है तो वे अंदर चले गए।


राशन खत्म हो गया, तो टोकन कहां से दें

इस बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक स्कूल में चल रहे राशन वितरण केंद्र पर जाकर स्थिति की जानकारी ली। यहां राशन बांटने के काम में लगे टीचर ने बताया कि हमें बताया गया था कि कुछ लोग ही आएंगे जिन्हें टोकन दिया जाना है। लेकिन धीरे-धीरे भीड़ बढ़ती जा रही है। राशन ऐसे में हम क्या करें? हमें 2800 किलोग्राम गेहूं और 700 ग्राम चावल दिया गया था। ये सब खत्म हो गया है। बाहर राशन के लिए लाइनों में लगे लोग धमकी दे रहे हैं कि यदि हमें राशन नहीं मिला तो हम स्कूल परिसर में तोड़फोड़ करेंगे। आखिरकार हम तो सिर्फ टीचर ही हैं और हमें भी अपनी सुरक्षा की चिंता है।

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