बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय ने लिया कोरोना का टीका, बोले- हम समझते हैं इसकी जरूरत
मुल्क तक न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. कोरोना की वैक्सीन को लेकर लोगों के दिल दिमाग से डर खत्म करना सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं। वहीं अंदरूनी इलाकों या आदिवासियों को समझाना और भी टेढ़ी खीर है। ऐसे में उत्तर बंगाल में जो देखने को मिला वह हैरान करने वाला है। दरअसल यहां कोरोना के प्रसार का मुकाबला करने के लिए टीके के महत्व को जानते हुए आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में टीकाकरण अभियान में भाग ले रहे हैं।
डॉ अनुनाभा दास, फणसीदेवाकी ब्लॉक मेडिकल हेल्थ ऑफिसर (बीएमओएच) ने कहा, "हमने टीकाकरण के लिए जनजातीय लोगों के बीच भारी प्रतिक्रिया देखी। उनमें से कई ने कहा कि वे टीकों के महत्व को समझते हैं।
आमतौर पर जनजातीय आबादी इस क्षेत्र के चाय बागानों में और उसके आसपास पाई जाती है। अधिकारियों ने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले की आबादी 18,46,823 है। दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी सब-डिवीजन के फणसीदेवा ब्लॉक में जयंतीका चाय बागान में काम करने वाले आदिवासियों ने कहा कि रिपोर्टों के अनुसार, कई लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई को कोरोना -19 के कारण अस्पतालों में भर्ती कराया गया था, लेकिन अभी तक उनमें से कोई भी संक्रमित नहीं हुआ है। सब चाय कर्मचारी वैक्सीन लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी जान बच सकती है।
भारत में कोरोनावायरस की रफ्तार पर अब लगाम लगती नजर आ रही है। शनिवार को लगातार पांचवें दिन कोरोना के नए मामले एक लाख से कम रहे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 70 दिन में सबसे कम 84,332 नए मामले दर्ज किए गए हैं। नए मामले आने से संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 2,93,59,155 हो गए। इस महामारी से 4,002 और लोगों के जान गंवाने से मृतकों की संख्या 3,67,081 तक पहुंच गई।
फिलहाल इलाज करा रहे मरीजों की संख्या गिरकर 10,80,690 हो गई है जो संक्रमण के कुल मामलों का 3.68 प्रतिशत है। कोरोनावायरस से स्वस्थ होने वाले लोगों की राष्ट्रीय दर 95.07 प्रतिशत हो गई है। मंत्रालय ने बताया कि भारत में ऐक्टिव मरीजों की संख्या 63 दिन के बाद 11 लाख से कम है जबकि 24 घंटों में आए 84,332 नए मामले 70 दिनों में सबसे कम हैं।
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