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12वीं बोर्ड की परीक्षा को लेकर किस प्रदेश का क्या है मूड, जानें कहां राहत-कहां सांसत

मुल्क तक न्यूज़ टीम, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से अपने आखिरी सुझाव 25 मई तक भेजने को कहा है। 1 जून को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' और सीबीएसई के अधिकारियों की बैठक होगी। संभवतः इसी बैठक में 12वीं की बोर्ड परीक्षा पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। केंद्र के साथ मीटिंग में अधिकांश राज्यों ने हालात सुधरने पर परीक्षाएं करवाने की बात कही है। इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर शामिल हुए। इनके अलावा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव भी बैठक में शामिल रहे। आइए जानते हैं कि 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर किस राज्य का क्या मूड है...

तमिलानडु और कर्नाटक ने कहा- 'हां, होनी चाहिए परीक्षा'

तमिलनाडु सरकार ने प्रस्ताव दिया कि कोविड-19 की स्थिति सुधरने के बाद राज्य में परीक्षा करायी जा सकती है। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोयामोझी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "अन्य राज्यों की तरह तमिलनाडु भी 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करना चाहता है, क्योंकि यह छात्रों के कैरियर को लेकर महत्वपूर्ण होता है।" कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने कहा कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए 12वीं कक्षा की परीक्षा आयोजित करना महत्वपूर्ण है।


छत्तीसगढ़ में 1 जून से 12वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 1 जून से 12वीं कक्षा की परीक्षाएं कराएगा। स्टेट बोर्ड ने कहा कि छात्रों को चुनिंदा केंद्रों से प्रश्नपत्र लेने, उन्हें घर ले जाने और पांच दिन के भीतर उत्तर पुस्तिका जमा कराने की अनुमति दी जाएगी। बोर्ड ने कोविड-19 महामारी और राज्य के 2.86 लाख से अधिक छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर इस तरीके से परीक्षाएं कराने का फैसला किया है। आदेश में कहा गया है कि 12वीं कक्षा के छात्रों को चयनित केंद्रों से प्रश्नपत्र और खाली उत्तर पुस्तिका लेने के लिए 1 जून से 5 जून तक पांच दिनों का समय दिया जाएगा। वे इन पांच दिनों में से किसी भी दिन प्रश्नपत्र ले सकते हैं। इसमें कहा गया है कि छात्रों को प्रश्नपत्र लेने की तारीख से पांच दिनों के भीतर अपने-अपने केंद्रों पर उत्तर पुस्तिका जमा करानी होगी। बोर्ड ने 19 मई 2021 को छात्रों की आंतरिक परीक्षा के नंबरों के आधार पर 10वीं कक्षा के नतीजे घोषित कर दिए थे। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल मार्च में राज्य में सभी स्कूलों को बंद कर दिया था और कहा था कि वह 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को छोड़कर बाकी सभी को बिना परीक्षाएं कराए अगली कक्षा में प्रमोट कर देगी।

पश्चिम बंगाल में जून तक टले एग्जाम्स

पश्चिम बंगाल सरकार ने जून में होने वाली 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने राज्य में संक्रमण की रोकथाम के लिये रविवार से 30 मई तक पूर्ण लॉकडाउन लागू करने की घोषणा की है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। मुख्य सचिव अलपन बंधोपाध्याय ने कहा कि राज्य की बोर्ड की परीक्षाओं का संशोधित कार्यक्रम बाद में घोषित किया जाएगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''जून में कोई माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी ।'' उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षाएं कराने के लिये प्रबंध करना मुश्किल है। 10वीं कक्षा की परीक्षाएं एक जून जबकि 12वीं कक्षा की परीक्षाएं 15 जून से शुरू होनी थीं।


टालने के पक्ष में ही लग रहा महाराष्ट्र का मूड

बोर्ड परीक्षा का महाराष्ट्र ने कोई सीधा विरोध तो नहीं किया, लेकिन कहा कि परीक्षाएं सुरक्षित वातावरण में होनी चाहिए। महाराष्ट्र की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ का कहना है कि छात्रों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में उचित फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "महामारी को देखते हुए 12वीं के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित नहीं कराने के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जाएगा क्योंकि कोरोना के नए स्ट्रेन का बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका जताई जा रही है। बच्चों और उनके परिवारों के स्वास्थ्य एवं मानसिक स्थिति को महत्व देते हुए ही कोई फैसला लिया जाएगा। छात्र और उनके अभिभावक महामारी के बीच एग्जाम को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।"


पंजाब और ओडिशा भी इंतजार के पक्ष में

पंजाब सरकार भी एग्जाम नहीं लेने के पक्ष में ही दिखती है। राज्य के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि इतने कठिन वक्त में छात्रों एवं शिक्षकों की सुरक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बात को समझती है, इसलिए दोनों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लिया जाएगा। सिंगला ने कहा कि सिर्फ तीन प्रमुख विषयों के एग्जाम लिए जा सकते हैं। इससे किसी प्रकार का खतरा कम हो जाएगा। ओडिशा में भी परीक्षाएं टलने की ज्यादा संभावना दिख रही है। राज्य के शिक्षा मंत्री समीर रंजन दास ने कहा कि परीक्षाएं तभी हों जब हालात सुधर जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरती है तो परीक्षाएं रद्द की जा सकती हैं। दास ने बताया, "राज्य सरकार साइल्कोन से निपटने की तैयारियों में जुटी हैं। हम जल्द ही कोई फैसला लेंगे।"


दिल्ली सरकार का सख्त विरोध

दिल्ली सरकार 12वीं को बोर्ड एग्जाम करवाने के पक्ष में नहीं है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि कोरोना संकट के समय बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन करवाना बहुत बड़ी नासमझी होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में परीक्षा के लिए न तो बच्चे तैयार हैं न ही उनके अभिभावक और न शिक्षक। सिसोदिया ने कहा कि पहले बच्चों को वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाए उसके बाद परीक्षा ली जाए। इसी के साथ सभी शिक्षकों को भी प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन उपलब्ध करवाए। इसके बाद ही परीक्षा आयोजित करवाने की सोचे। अगर वैक्सीन नहीं उपलब्ध होती है तो परीक्षा रद्द कर दी जाए। 10वीं की तर्ज पर मूल्यांकन कर रिजल्ट घोषित किया जाए। ये मूल्यांकन पूरे साल के यूनिट टेस्ट, प्री-बोर्ड परीक्षाओं, प्रैक्टिकल, पूर्व की कक्षाओं में बच्चे के प्रदर्शन के आधार पर हो सकता है। साथ ही विद्यार्थियों को ये सुविधा भी दी जाए कि यदि कोई अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं हों तो सिर्फ उनके लिए भविष्य में परीक्षा आयोजित की जाए।


दिल्ली की राह पर झारखंड

झारखंड सरकार भी कोविड की दूसरी लहर के मद्देनजर 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित करवाने के खिलाफ है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कई छात्र और उनके परिवार मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं जबकि कई स्टूडेंट्स ने अपनों को खो दिया है। सोरेन ने बताया कि उन्होंने केंद्र के साथ मीटिंग में परीक्षा तभी कराने की सलाह दी जब कोविड-19 महामारी नियंत्रित हो जाए। सोरेन ने कहा, "अगर विभिन्न पक्षों से ली गई राय को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा तो एग्जाम टालने की आम सहमति दिख रही है... लोगों को लगता है कि परीक्षाएं हुईं तो सोशल डिस्टैंसिंग का पालन संभव नहीं हो पाएगा और बच्चे संक्रमित हो सकते हैं।"

प्रियंका गांधी ने उठाया सवाल

उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने परीक्षाएं आयोजित किए जाने की तैयारी पर चिंता जताई और कहा कि विद्यार्थियों का स्वास्थ्य और सुरक्षा मायने रखती है। उन्होंने कहा, "मैं पहले भी कह चुकी हूं और अब भी कह रही हूं। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना की शारीरिक देखभाल। यह एक ऐसा वक्त है, जब हमारी शिक्षा प्रणाली ने बच्चों की बेहतरी के लिए संवेदनशीलता का रुख अपनाया है और इन मुद्दों को गंभीरता से लेना शुरू किया है।" उन्होंने आगे कहा, "किसी बंद जगह पर लोगों के जमाव से कोरोना के प्रसार को बढ़ावा मिलेगा। इस लहर में हमने देखा है कि नए स्ट्रेन का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा है। पहले से ही अपनी परीक्षाओं के लिए दबाव झेल रहे बच्चों से यह उम्मीद लगाना कि वे दिनभर एक लंबे समय तक के लिए अपनी सुरक्षा के लिए कई सारी चीजें पहनकर रहें, यह किसी भी मायने में अनुचित है। इनमें से कइयों के परिवार में ऐसे भी लोग होंगे, जो पहले से ही कोविड की मार झेल रहे हों। लोग पहले से ही परेशानी में हैं।"


सीबीएसई ने लिया था बड़ा फैसला

14 अप्रैल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं और 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई बैठक में किया गया था। ये परीक्षाएं 4 मई से 14 जून के बीच होनी थीं। इसी तरह, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) और अन्य राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित करने वाले संस्थानों ने भी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है।

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