मृत शरीर से नहीं फैलता कोरोना, भ्रम तोड़ें रिश्ते नहीं; जानिए विशेषज्ञों की राय
मुल्क तक न्यूज़ टीम, लखनऊ. मृत शरीर से कोरोना का संक्रमण नहीं फैलता। यह संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से फैलता है। मृत शरीर न तो छींक सकता है और न ही खांस। ऐसे में नदियों में कोरोना का शव प्रवाहित कर उसे प्रदूषित न करें। पूरे प्रोटोकाल के साथ अंतिम संस्कार करें। दरअसल कोरोना संक्रमण के कारण अगर किसी व्यक्ति की मौत हो रही है तो लोग उसके अंतिम संस्कार में जाने से परहेज कर रहे हैं। आप पूरी सर्तकता के साथ दो मास्क लगाकर शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में आप मृत शरीर में कोराना को लेकर अपना भ्रम तोडि़ए रिश्ते नहीं।
केजीएयमू की डेढ़ आडिट कमेटी के सदस्य और यूपी में कोरोना टीकाकरण अभियान के ब्रांड एंबेस्डर प्रो. सूर्यकांत कहते हैं कि कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के छींकने और खांसने से निकलने वाली बूंदों से संक्रमण फैलता है। मृत शरीर कोरोना संक्रमण नहीं फैलता सकता। कोरोना संक्रमण के कारण अगर किसी व्यक्ति की मौत हुई है तो आप पूरे प्रोटोकाल के साथ उसके अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं। दो मास्क लगाएं और अगर मास्क नहीं है तो गमछे को कई परत कर मुंह व नाक को अ'छी तरह से ढक लीजिए। हाथों में अगर ग्लव्स पहनने को नहीं है तो उसकी जगह पालीथिन को हाथों में अ'छी तरह बांध लीजिए। घर में पहले से एक बाल्टी साबुन पानी घोलकर रखिए। जब अंतिम संस्कार से वापस आएं तो अपने हाथों को अ'छी तरह से इससे धो लीजिए और फिर उसके बाद अ'छी तरह से नहा लें तो आपको संक्रमण नहीं होगा।
अस्पताल से इस प्रोटोकाल के तहत मिलती है बाडी : कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्ति की बाडी सैनिटाइज करने के बाद पीपीई किट में पैक कर दी जाती है। परिवार के दो सदस्यों को भी पीपीई किट दी जाती है और उन्हें मृत शरीर घर ले जाने की इजाजत नहीं होती। वह इसे सीधे अंतिम संस्कार के लिए घाट ले जाने को दिया जाता है। फिलहाल अब लोग परिवार के दूसरे सदस्यों व रिश्तेदारों के साथ अंतिम संस्कार करते हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण से मौत के बाद लोगों में अंतिम संस्कार में शामिल होने की दहशत रहती है। फिलहाल डरने की कोई जरूरत नहीं है।
मृत्यु के बाद वायरस का असर होने लगता है खत्म : प्रो. सूर्यकांत के मुताबिक मृत्यु के बाद वायरस का असर अपने आप भी धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। क्योंकि मृत कोशिकाओं में वायरस ज्यादा देर ङ्क्षजदा नहीं रह सकता। फिर अस्पतालों में शव को अ'छे से सैनिटाइज किया जाता है। ऐसे में शव की सतह पर भी संक्रमण की गुंजाइश नहीं होती। फिर उसे अ'छी तरह से ढ़ककर परिवारीजनों को दिया जाता है। परिवार के लोग भी मृतक का केवल मुंह देख सकते हैं। पूरे शरीर को खोलने और नहलाने की अनुमति नहीं होती।
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