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दो दिनों में गर्भ में दो बच्चों की मौत को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया, राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की

रांची. रांची में दो दिनों में गर्भ में हुए दो बच्चों की मौत को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है और सरकार से जवाब मांगा है। अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद दो- दो जजों ने इस पर संज्ञान लिया और सरकार से जवाब मांगा है।
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए महाधिवक्ता को 12 मई तक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया, जबकि जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव,  रिम्स निदेशक, सिविल सर्जन और रांची जिला प्रशासन को प्रतिवादी बनाया है और जवाब देने का निर्देश देते हुए मामला चीफ जस्टिस की बेंच में स्थानांतरित कर दिया है।

जस्टिस एसएन पाठक की अदालत ने संज्ञान लेते हुए कहा कि ऐसे मामलों में  अदालत आंखें बंद नहीं कर सकती।  राज्य की जनता को भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। ज्य सरकार का काम जनता के अधिकारों की रक्षा करना भी है। अदालत ने इस पूरे मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा है कि इमरजेंसी में किसी का इलाज उसका मौलिक अधिकार है।   ऐसे में गर्भ में बच्चे की मौत से होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति कैसे की जा सकती है। स्वास्थ्य की सुविधा देना राज्य सरकार का संवैधानिक अधिकार है। अदालत ने अपने आदेश में कि सरकारी अस्पतालों का संचालन राज्य सरकार करती है। अस्पताल के कर्मचारियों को वहां पहुंचने वाले सभी लोगों का इलाज करना उनका कर्तव्य है।  अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो मरीज के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। 

उधर चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कोरोना से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नाराजगी जतायी और कहा कि दो दिनों में इस तरह की दो घटनाएं हुई जो काफी दुखद है। ये ऐसी घटना है जिससे हर किसी का दिल दुखता है। अदालत ने सरकार को इस पर गंभीरता दिखाते हुए जांच कराने का आदेश दिया और यह सुनिश्चित करने को कहा कि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो।  12 मई को अदालत ने मामले की जांच  रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि आखिर निजी अस्पताल बंद क्यों हैं। इन अस्पतालों में इलाज क्यों नहीं हो रहा है। इस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि इन दोनों घटनाओं की जांच का आदेश सरकार ने पहले ही दे दिया है। कोरोना संक्रमण फैलेने के बाद निजी अस्पतालों ने ओपीडी और इलाज करना बंद कर दिया था। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय का नया निर्देश आ गया है। इसमें निजी अस्पतालों के ओपीडी और इलाज शुरू करने को कहा गया है। राज्य सरकार ने भी सभी निजी अस्पतालों को चिकित्सा सुविधा शुरू करने का आदेश दे दिया गया है। सदर अस्पताल की नर्सों में कोरोना संक्रमण और रिम्स में एक गर्भवती महिला में कोरोना का लक्ष्ण पाए जाने के बाद उन्हें सेनेटाइज किया गया था और कुछ दिनों के लिए प्रसुति वार्ड बंद कर दिया गया था। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत डोरंडा स्वास्थ्य केंद्र को इसके लिए तैयार रखा गया है।

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