इरफान और शाहरुख की यह बात अब शायद ही कोई जान पाएगा
नई दिल्ली, अभिनय के दम पर अपनी धाक जमाने वाले एक शानदार अभिनेता ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अपने चाहने वालों की आंखों में आंसू छोड़ वह चांद-तारों में जाकर बस गया। जी हां, इरफान खान हमें अलविदा कह चुके हैं और ये दिल है कि अब तलक इस बात को मानने को राजी नहीं है। अपनी अदाकारी से दुनिया को इरफान ने बता दिया है कि तुम मुझे भुला ना पाओगे।
दिल्ली की गलियों से भरी थी उड़ान
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में इरफान खान के सीनियर रहे उपेंद्र सूद जो फिल्म की दुनिया में काफी जाना माना नाम हैं ने बताया कि उनके अभिनय के कैरियर की शुरुआत यहीं दिल्ली से हुई और फिर यहां के बाद ना जाने देश दुनिया की कितनी ही फिल्मों में काम किया। इरफान ने अपने अभिनय की एक अलग छाप छोड़ी है। उन्हें अपने शुरुआती कैरियर में ही मीरा नायर की फिल्म में सलाम बॉम्बे में काम मिल गया था। यहां से उनकी गाड़ी चल पड़ी और फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। हालांकि यहां के लोगों को इस बात की कसक जरूर रही कि जब इरफान अपने कैरियर के सर्वश्रेष्ठ जगह पर थे तब उन्होंने यहां वापस पांव नहीं रखा। कमोबेश इरफान के कैरियर की गाड़ी को जल्द ही कई बेहतरीन फिल्मों मिली, जिससे वे एक से बढ़कर एक मुकाम हासिल किया। मकबूल', 'रोग', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'स्लमडॉग मिलेनियर', 'पान सिंह तोमर', 'द लंचबाक्स' , 'हिंदी मीडियम इसी कड़ी में एक से बढ़कर एक फिल्में हैं। देश ही नहीं दुनिया में उनके नाम का डंका बजने लगा। स्लम डॉग मिलेनायर इन्हीं चंद उपलब्िधयों में से एक है।
शाहरुख का एहसान जिसकी कोई तुलना ही नहीं
इरफान कोलन इंफेक्शन से परेशान थे और इसकी इलाज के लिए अक्सर लंदन आते-जाते रहते थे। इरफान को इस बीमारी के दौरान शाहरुख खान का काफी साथ मिला जिसके कारण उनकी परेशानी काफी कम हुई। इरफान के हमजोली रहे राजेश अभय ने कभी इस बात का जिक्र उपेंद्र से की थी जिसके बारे में शायद ही लोग जानते हैं। इरफान लंदन में जहां इलाज के लिए जाते थे वहां से शाहरुख खान का घर काफी नजदीक था जिस कारण वह आराम से इलाज करवा पा रहे थे। हालांकि खुले मंच पर शाहरुख ने इस बात का कभी जिक्र नहीं किया।
शाहरुख ने ऐसे किया याद
मौत के बाद शाहरुख ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि मेरे दोस्त ... प्रेरणा और हमारे समय के सबसे महान अभिनेता। अल्लाह आपकी आत्मा को आशीर्वाद दे इरफान भाई ... जीवन का हिस्सा बनने के लिए उन्हें याद करते हुए एक लाइन उन्होंने इरफान के लिए लिखी 'पैमाना कहे है कोई, मैखाना कहे है दुनिया तेरी आँखों को भी, क्या क्या ना कहे है” लव यू।
इरफान की खामोश आंखों में बसा था एक ही चेहरा
इरफान की खामोश निगाहों में एक की चेहरा बसा था जिसके आखिरकार शादी कर उसने अपना बना लिया था। बंगाल की रहने वाली सुदीप्तो। इरफान की प्रेम कहानी भी उनके कैरियर से ही शुरू होती है। उपेंद्र ने बताया कि वह अपनी साथी बैचमेट के साथ ही प्रेम कर बैठे और अंत तक उसे निभाया। उन्होंने बताया कि अक्सर फिल्मों की सुनहरी रोशनी में लोग बदल जाते हैं मगर उन्होंने बड़े ही फर्क से कहा कि वह कभी बदला नहीं। अपने प्रेम को एक मुकाम देकर शादी की और उनके दो बच्चे बाबिल और अयान हैं। उन्होंने कहा कि एनएसडी में प्रेम होना स्वाभाविक है। यहां एक ऐसा खुला माहौल होता है कि लोग अक्सर एक दूसरे साथी कलाकार में ही पार्टनर ढूंढ़ लेते हैं। बहरहाल उनकी जिंदगी में सुदीप्तो ने भी भरपूर साथ दिया। उनके संघर्ष के साथी के तौर पर उन्होंने उनका हर पग-पग पर साथ दिया और बीमारी के इस दौर में भी उनका भरपूर ख्याल रखा।
कभी कॉन्ट्रोवर्सी में नहीं पड़े इरफान
उपेंद्र ने बताया कि इरफान ने कभी किसी लॉबी में नहीं फंसे और हर कलाकार को भरपूर सम्मान देते हुए सबके साथ काम किया। इरफान कभी किसी कॉन्ट्रोवर्सी में नहीं पडे और जिसका नतीजा है कि उन्हें सभी का भरपूर प्यार मिला। उपेंद्र ने इरफान को याद करते हुए बड़े ही भावुक ढंग से कहा कि जिस किस्मत ने उन्हें बॉलीवुड में एक शानदार मुकाम दिलाया वहीं इस लॉकडाउन के दौरान उन्हें दगा दे गया।
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