पंजाब के पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ मुल्तानी अपहरण मामले में केस दर्ज
मोहाली। पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ मटौर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। सूत्रों के मुताबिक उनके खिलाफ 1991 में हुए बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में केस दर्ज किया गया है। हालांकि अभी इसकी कोई भी पुलिस अधिकारी पुष्टि करने को तैयार नहीं है।
यह मामला तब का है जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) थे। मुल्तानी को सुमेध सिंह सैनी पर चंडीगढ़ में हुए आतंकी हमले के बाद पकड़ा गया था। हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिकर्मी मारे गए थे। आरोप है कि वर्ष 1991 में सैनी की हत्या के विफल प्रयास के बाद पुलिस ने मुल्तानी का अपहरण कर लिया था। सैनी पर मुल्तानी के अपहरण और फिर उसकी हत्या का आरोप है। इसके बाद मुल्तानी के भाई ने एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी, जिसके आधार पर यह केस दर्ज किया है।
उधर, आज सुमेध सिंह सैनी ने अपने कुछ साथियों को लेकर बगैर किसी पास के हिमाचल की सीमा में घुसने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने हिमाचल पुलिस पर राज्य में घुसने का दबाव बनाया, लेकिन जब पुलिसकर्मी नहीं माने तो सैनी ने बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक दिवाकर शर्मा को भी फोन कर दिया। उन्होंने एसपी ने कहा कि उन्हें मंडी जिले के करसोग क्षेत्र में जाना है और उन्हें जाने दिया जाए, लेकिन एसपी बिलासपुर दिवाकर शर्मा ने उन्हें नियमों का हवाला देकर स्पष्ट इनकार कर दिया कि उन्हें किसी भी सूरत में हिमाचल की सीमा में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है।
आतंकवाद के दौर में सुपरकॉप के रूप में पहचान
सुमेध सिंह सैनी पंजाब के कड़क अफसरों में माने जाते थे। आतंकवाद के दौरान में केपीएस गिल के बाद आतंकियों की हिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहकर सुपर कॉप के रूप में सैनी ने पहचान बनाई। पंजाब पुलिस में 36 वर्षो के कार्यकाल के दौरान सैनी दर्जनों विवादों में रहे। पुलिस अधिकारियों व मुलाजिमों के एक वर्ग के पसंदीदा अफसर रहे सैनी को डीजीपी की कुर्सी 2015 में पंजाब में धार्मिक ग्रथों की बेअदबी की घटनाओं के चलते छिन गई थी। उसके बाद सुरेश अरोड़ा के हाथों में पुलिस की कमान है। सैनी पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के डीजीपी के पद पर तैनात थे।
गिल के सबसे नजदीकी
1982 बैच के आइपीएस सैनी पूर्व डीजीपी केपीएस गिल के सबसे करीबी अफसरों के रूप में माने जाते थे। वह फिरोजपुर, बटाला, बठिंडा, लुधियाना, रूपनगर व चंडीगढ़ के एसएसपी के रूप में भी रहे। दीनानगर में 2015 में हुए आतंकी हमले के दौरान सैनी ने पंजाब पुलिस की टीम की ओर से ही आतंकियों का सफाया करवाया था। उस समय केंद्रीय सुरक्षा बलों की भेजी गई टीमों को तत्कालीन डीजीपी सैनी ने पंजाब पुलिस के काम में दखलंदाजी करने से रोक दिया था। अंत में पंजाब पुलिस ने आतंकियों को ढेर करके शाबाशी हासिल की थी।
सबसे कम उम्र के डीजीपी बने थे
सैनी को पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने 54 साल की उम्र में ही डीजीपी की कुर्सी पर बैठा दिया था। इससे पहले इतनी कम उम्र में डीजीपी किसी को नहीं बनाया गया था। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ 2002 में मतभेद होने के बाद सैनी को एक बार विभाग में नजरअंदाज करके रखा गया था। इसके चलते पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के साथ उनके करीबी रिश्ते बने और सुखबीर ने उन्हें पंजाब पुलिस की कमान सौंप दी थी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ सिटी सेंटर व अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट घोटाले के केस दर्ज करवाने को लेकर भी सैनी काग्रेसियों के निशाने पर आए थे।
कोई टिप्पणी नहीं